माँ ने बताया राहुल को पहले भी आ चुका है बड़ी मुसीबत वो तो माता की कृपा थी…पढ़िए पूरी खबर

जांजगीर—चाम्पा। मानसिक रूप से दिव्यांग राहुल ने 105 घन्टे के सफल आपरेशन के बाद जिंदगी की जंग जीत ली है। राहुल की मां गीता साहू ने बताया कि राहुल पर मातारानी की कृपा है। कुछ साल पहले परिजनों के साथ राहुल पुरी धाम गया था। जहां अचानक वह बिछड़ गया। काफी देर कहीं नहीं मिला तो उम्मीद टूट रही थी। बाद में राहुल एक देवी मंदिर के पास मिला। उसने माता की चुनरी ओढ़ी हुई थी। उम्मीद हार चुके थे, बाद में चमत्कारित ढंग से मिला। उस घटना को याद करके माता पिता को भरोसा था कि राहुल को कुछ नहीं होगा। मां से रहा नहीं गया और उसने सुरंग में जाकर स्थिति देखने गुहार लगाई थी। इसके बाद प्रशासन ने मां को खुदाई स्थल लेकर गए।

मालखरौदा ब्लाक के ग्राम पिहरीद में 10 जून की दोपहर बोरवेल में गिरकर फंसे राहुल को 105 घण्टे रेस्क्यू के पश्चात सकुशल बाहर निकाल लिया गया। आपरेशन राहुल- हम होंगे कामयाब के साथ राहुल के बचाव के लिए लगभग 65 फीट नीचे गड्ढे में उतरी रेस्क्यू दल ने कड़ी मशक्कत के बाद राहुल को सुरक्षित बाहर निकाला। राहुल अब अपोलो में विशेषज्ञ डाक्टरों की निगरानी में स्वास्थ लाभ ले रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बोरवेल में फसे राहुल को सुरक्षित निकालने के लिए जिला प्रशासन को विशेष निर्देश दिए गए थे। आखिरकार देश के सबसे बड़े रेस्क्यू अभियान को कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में अंजाम दिया गया। सुरंग बनाने के रास्ते में बार-बार मजबूत चट्टान आ जाने से 5 दिन तक चले इस अभियान को रेस्क्यू दल ने अंजाम देकर मासूम राहुल को एक नई जिंदगी दी है। इस रेस्क्यू के सफल होने से देशभर में एक खुशी का माहौल बन गया।

105 घण्टे तक चले इस रेस्क्यू आपरेशन में राहुल साहू के जीवित बाहर निकाल लिए जाने से सभी ने राहत की सांस ली। पिता लाला साहू, माता गीता साहू सहित स्वजन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित कलेक्टर, जिला प्रशासन के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और एनडीआरएफ, सेना, एसडीआरएफ सहित सभी को विशेष धन्यवाद दिया।

कलेक्टर सहित सभी अफसर दिन रात रहे मुस्तैद

राहुल के सलामती के लिए जहाँ दिन-रात पर दुआओं का दौर चला। वहीं घटनास्थल पर इस आपरेशन के पूरा होने तक कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला, पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल सहित तमाम अफसर दिन रात घटनास्थल पर रेस्क्यू पर निगरानी रखे हुए थे।

चट्टानों से न टीम का हौसला डिगा, न राहुल

बोरवेल में फंसे राहुल को बचाने के लिए रेस्क्यु दल ने हर बार कड़ी चुनातियों का सामना किया। राहुल के रेस्क्यु में बड़े-बड़े चट्टान बाधा बनकर रोड़ा अटकाते रहे, इस बीच रेस्क्यु टीम को हर बार अपना प्लान बदलने के साथ नई-नई चुनौतियों से जूझना पड़ा। मशीनें बदलनी पड़ी। 65 फीट नीचे गहराई में जाकर होरिजेंटल सुरंग तैयार करने और राहुल तक पहुचने में सिर्फ चट्टानों की वजह से ही चार दिन लग गए। बचाओ दल को भारी गर्मी और उमस के बीच झुककर, लेटकर टार्च की रोशनी में भी काम करना पड़ा। इसके बावजूद अभियान न तो खत्म हुआ और न ही जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे राहुल ने हार मानी।

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